
माया की माया ........
आज सुबह जैसे रोज की तरह मै बिस्तर से उठा और अपनी नियमीत दिनचर्या के अनुसार बाहर निकल कर किसी तरह अखबारों का एक छोटा सा बण्डल जो प्रतिदिन मेरे घर के सामने बिखरा हुआ पड़ा था उठा कर अन्दर लाया वैसे ये कम मै रोज करता हूँ और इस टाइम मै आधा सोया और आधा जगा हुआ होता हूँ और पूरा तभी जग पाता हूँ जब मेरी पत्नी मुझे चाय का कप देती है पर आज ऐसा नहीं हुआ मेरी नीद अचानक गायब गायब हो गयी ....... और मुझे रामायण का वो प्रसंग याद आ गया की भगवान् राम के पैर का अंगूठा किस तरह अहिल्या की पत्थर की मूर्ति पर पड़ा और किस तरह से वो पत्थर की मूर्ति बदल कर पत्थर से सुन्दर नारी बन गयी .... जब किस तरह भगवानराम जब अपने राजमहल से निकले अपना राजसी परिधान निकल कर जब वो तपस्वी वेश में नंगे पैर अपने महल से बाहर निकले और जब उनके कोमल पैर जमीन और धरती पर उगे घास फूस के संपर्क में आते, वैसे ही उस जमीन और घास फूश के स्वरूप बदलने लगे थे कटीली झाड़ियो से सुन्दर फूल खिलने लगे ये सब कहा जाता है की भगवान राम की माया थी .....वो भगवान् थे वो कर सकते थे ये सब उनके बस में रहा होगा तभी इसका वर्णन रामायण में मिलता है ....पर आज जैसे ही मेरी नजर अख़बार के उस हेड लाइन पर पड़ी मुझे यकीन हो गया ....ऐसे चमत्कार आज भी हो रहे है पर हम देख नही पा रहे है वो भगवान् की माया से हुआ था और यहाँ हमारे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की माया रोज के रोज ऐसे चमत्कार करती जा रही है उनके चरण कमल जहा पड़ते है वहा का स्वरूप बदल जाता है ... आप सोच रहे होंगे की अचानक मै रामायण के प्रसंग क्यों बताने लगा , दरसल बात ही कुछ ऐसी है ....आप सोच भी रहे होंगे की आखिर अखबार में ऐसा क्या था दरसल अखबार की हेड लाइन थी ॥" शहीद स्मारक धरना प्रदर्सन से आजाद " दरसल पहले सरकार ने धरना प्रदर्सन करने के लिए विधानसभा के सामने पड़ा खली स्थल निर्धारीत किया था । पर इस धरना स्थल पर सूबे की की मुख्यमंत्री माया की माया क असर हुआ और इसे यहाँ से हटा कर सहीद स्मारक पर कर दिया गया नाम से ही आप समझ सकते है लखनऊ का सहीद स्मारक जहा आने के बाद लोग देशभक्ति जैसे जज्ज्बे को महसूस करते थे यहाँ के चारो तरफ खिले हुए फूल और सहीद श्मारक लोगो को शहीदों की याद दिलाते थे ..........यहाँ पर माया की माया क असर हुआ और शहीदों के याद मे बने इस स्मारक पर रोज जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाये जाने लगे ..... कभी कभार तो प्रदर्सन करियो पर लाठिया भी बरसाई जाती रही ऐसा नहीं है की यहाँ धरना स्थल बनाये जाने क विरोध नहीं हुआ ,यहाँ से धरना स्थल हटाये जाने के लिए भी धरने दिए गए काफी हो हंगामा भी हुआ पर माया की देवी मायावती पर कोई असर नहीं हुआ ... यह की फुलवरिया पान की पीको और सिगरेट के तोतो से भर गयी ...पर धरना स्थल को वहा से हटाया न जा सका .....पर एकाएक ये सुनकर की बिना किसी आन्दोलन या प्रदर्सन के सर्कार ने धरना स्थल को हटा कर कही और कर दिया ये बात मुझे समझ मे नहीं आई पर आगे की लाइन पड़ने के बाद मुझे समज मे आया की आखिर ऐसा क्यों हुआ दरसल आगामी ३० जनवरी को शहीद दिवस को उतर प्रदेश की मुखिया सुश्री मायावती वहा होने वाले सर्वधर्म सभा मे बतौर अतिथि मौजूद रहेंगी ........और उनके पैर वहा पड़ने से पहले ही वहा का कायाकल्प होना सुरु हो गया है .......तो आप बताइए लाख चीखने चिल्लाने और शोर मचने से जो काम नहीं हो पाया वो हुआ की नहीं माया की माया से .... अगर इसी तरह से वो अपना पैर उत्तर प्रदेश के अन्य ऐतिहशिक स्थलों पर रखने लगे to आप मानेंगे की नहीं की वहा उनकी माया से सब बदल जायेगा
मनीष kumar पाण्डेय

