
लोकतंत्र का चौथा खम्भा अर्थात मीडिया जिसे समाज के एक आईने के रूप में देखा जाता है ... काफी समय पहले पत्रकारों को समाज में काफी सम्मानजनक स्थान दिया जाता था
पत्रकार आपने कलम की रोसनाई से समाज का दर्पण खुद समाज के सामने प्रदर्सीत करते थे पत्रकारों का मुलभुत कर्तव्य एक स्वछ समाज के निर्माण में सहयोग करना होता था पत्रकारिता लोगो के लिए एक मिसन होती थी जिसे लोग पूरी ईमानदारी से अंजाम देते थे | पर आज समय के साथ साथ इसका भी स्वरूप काफी बदल गया है | आज इस मिसन में नब्बे प्रतिसत लोगो की सोच बदल गयी है, आज आज पत्रकारिता का मतलब बदल गया है | पत्रकार आज अपने कर्तव्यो का निर्वहन करना भूलते जा रहे है , पत्रकारिता के माध्यम से आज लोग समाज का नहीं वरन स्वयं का निर्माण करने में लगे हुए है ....... मेरा जब पहला लेख एक जब अख़बार में प्रकाशित हुआ तो उस समय मै काफी उत्साह में था मुझे लगा की मै आज नहीं तो कल जरुर एक ऐसे मुकाम तक पहुच जाऊंगा जहा पहुच कर मुझे अपने आप पर गर्व की अनुभूति होगी | मैंने अपना सफ़र उत्तर प्रदेश के छोटे से सहर गोरखपुर के छोटे से कस्बे सहजनवा से सुरु किया | मेरे सामने बहुत सी विपत्तिया आई पर मै उनसे जूझता हुआ उस छोटे से कस्बे से निकल कर कई पडावो से गुजरता हुआ प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुच गया यहाँ मै पूरी
ईमानदारी और निष्ठा से अपने मकसद को मिसन बनाकर कम करता रहा .. पर यहाँ आकर मुझे लगा की आज वाकई पत्रकारिता का रूप काफी बदल गया है ......... यहाँ पर पत्रकारों के बीच पत्रकार बनाम पत्रकारिता की जो प्रतिस्पर्धा चल रही है उससे मै अंजान था .. यहाँ पर ज्यादातर लोगो की सोच मुझसे नहीं मिलती है यहाँ लगभग कुछ लोगो को छोड़कर सभी पत्रकारिता को माध्यम बना कर सिर्फ अपना विकास करने में लगे हुए है पिछले दो सालो के अन्दर मै बस वही का वही हूँ क्योकि मै इसे अपना मिसन बना कर कम करा रहा हूँ पर मेरे बहुत से काबिल भाई आज काफी बड़े आदमी बन गए है, मेरे जानने वाले मेरे एक बड़े भाई के पास जब मै यहाँ आया तो कुछ नहीं था पर आज उनके पास न जाने कैसे लखनऊ सहर में करोडो की जयदात हो गयी और आज भी पत्रकारिता के माध्यम से वो अपना विकास करने में लगे हुए है ......... मेरे एक दुसरे भाई जो अक्सर मुझे रिपोर्टिंग के दौरान प्रदेश के किसी न किसी के बड़े नेता या मंत्री के साथ दिख जाते थे वो आज करोडपति बन बैठे ....आज वो पत्रकार के साथ साथ बहुत बड़े ठेकेदार भी है, उनके साथ तमाम छोटे बड़े ठेकेदारों का एक समूह भी है जो उनके द्वरा लिए गए कामो को अपने नाम से करवाता है, और कई कंपनियों के मालिक भी है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है की ये सब होते हुए भी सबसे पहले वो पत्रकार है .... हलाकि मेरा कहना हो सकता है की गलत हो पर आप सोच सकते है की जब कोई दिन से लेकर रात तक सिर्फ अपने विकास में लगा हुआ है तो क्या जरुरत है उसे पत्रकारिता करने की वो क्या वो ईमानदारी से पत्रकारिता कर सकता है ? पर ऐसे लोगो से पत्रकारिता से कोई मतलब नहीं है भले ही वो पत्रकारिता को न समझे पर वो अपने आप को पत्रकार कहलवाना ज्यादा पसंद करते है |
सिर्फ ऐसे ये लोग नहीं है जिन्हें मै जनता हूँ ऐसे न जाने कितने लोग है जो आज भी हमारे बीच बिना किसी भेद भाव के है | हम और आप कभी उससे ये नहीं पूछते की की भईया आखिर वो कौन सा पारस पत्थर है जो आपको दिनों दीं अमीर और अमीर बानाता जा रहा है या ऐसी कौन सी जड़ी है जिसे सूंघते ही आप का हर काम कोई भी अधिकारी आसानी से कर देता है सबसे बड़ा प्रश्न ये है की आखिर ये लोग ऐसी कौन सी पत्रकारिता करते है .......... जाहिर सी बात है इन लोगो को पत्रकारिता से से कोइलेना देना नहीं है .... पर ये पत्रकार बने रहना चाहते है आज के समय में इसी तरह के लोग इस क्षेत्र में आने वाले लोगो के लिए आदर्श बनते जा रहे है क्या हम अपने आने वाली पीड़ियो को ऐसे ही आदर्श देंगे ....... ?
अगर आप को लगता है की आप ऐसे लोग हमारे आने वाली पीढियों के लिए आदर्श न बने तो अपने विचारो से हमें जरुर अवगत कराये ........शेष चर्चा अगले अंक में ....
मनीष कुमार पाण्डेय
लखनऊ
mani655106@gmail.com
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