एक नेत्रहीन व्यक्ति था ,पर उसके पास गजब के कान और
नाक थे जिससे वो साधारण व्यक्तियों जैसा व्यवहार करता था | और लोग समझ भी
नहीं पाते की वो नेत्रहीन है और उसे ऐसा करते रहने में बहुत मजा आता था |
एक दिन उसका रेलवे स्टेशन जाना हुआ ,यहाँ भी वो बिना चश्मे पहने हाथ में
मोबाइल लिए गया... और वह घड़ी देखने और ट्रेन के लेट होने का दिखावा करते
हुए वही एक बैंच में बैठ गया तथा मोबाइल निकल के जोर - जोर से बात करने
लगा | उसके सीध में एक और आदमी उसके आने के पहले से बैठा था और वो भी
मोबाइल से बात कर रहा था , उसे नेत्रहीन व्यक्ति की हरकते अच्छी नहीं लगी
और वो नेत्रहीन व्यक्ति के पास आ कर बहस करने लगा ... कहने लगा की आप मेरा
मजाक उड़ा रहे है | नेत्रहीन व्यक्ति को अपनी चोरी पकड़े जाने का डर था
इसलिए वो सॉरी बोलने के बजाय तर्क-वितर्क करने लगा ....बात इतनी बड़ी की
दोनों के बीच हाथा-पाई की नोबत आ गई तो पुलिस ने बीच बचाव किया और दोनों
को गिरफ्तार कर लिया | जब पुलिस ने पूछ-ताछ की तो नेत्रहीन व्यक्ति ने
बताया की मैं नेत्रहीन हूँ...पुलिस वाले हैरान हो गये और दुसरे ने बताया
की मैंगूंगा हूँ और लोग के होंठ को पढ़ता हूँ | पुलिस वालो ने ये निष्कर्ष
निकला की लड़ाई की मुख्य वजह दोनों का असाधारण व्यवहार था , जिसके कारण वो
आपस में भीड़ गये .......और उन्होंने दोनों को चेतावनी देकर छोड़ दिया |
इसलिए कहते है अकारण बहस और कीचड़ उछालने से सदैव बचे क्योंकि कुछ छिटे आप
पर भी आ सकती है ....
अगर कोई बात जबान पर आकर अटक रही हो तो उसे यहाँ उगल दीजिये ... वो खबर बन जाएगी | फिर आपका दिल हल्का महसूस करेगा ....!!!!!!!!!!!!!!खबरनामा पर सदस्यता के लिए हमें मेल करे mani655106@gmail.com पर | !!!!!!!!!!!!!!!! या अपनी मेल आई डी नीचे लिखे बॉक्स में टाइप करे |
Tuesday, September 27, 2011
"अफ़्रीकी कबीले की शिक्षा"
भारतीय राजनीती आज
भ्रष्टाचार के शीर्ष शिखर को प्राप्त कर चुकी है, यही कारण है की सभी
लोकतान्त्रिक मूल्यों को ताक में रख कर, पहले देश को लूटा, फिर लूट का माल
विदेशों में जमा किया, और जब इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की गयी तो
देश में लोकतंत्र को अपमानित किया गया, इतनी बेशर्म सरकार जो कटघरे में
खड़े होकर न्यायधीश पर गुर्राती है! सभी देशवासी इस बात की समीक्षा खुद ही
कर लें की ऐसा कुकृत्य एक पैशाचिक मानसिकता की सरकार ही कर सकती है! आज आप
अब भी चुप रहोगे तो ठीक है पर हर रोज सुबह उठकर जब आप दर्पण देखें तो एक
बार देश में होने वाली बुराइयों और अन्याय को जरूर कौसें, सुना है अफ्रीका
का एक कबीला जिस पेढ़ को काटना चाहता है, उसको सामूहिक रूप से हर रोज कोसता
है, और पेढ़ मर जाता है फिर उस पेढ़ को काटकर अच्छा घर बनाया जाता है.
भ्रष्टाचार के शीर्ष शिखर को प्राप्त कर चुकी है, यही कारण है की सभी
लोकतान्त्रिक मूल्यों को ताक में रख कर, पहले देश को लूटा, फिर लूट का माल
विदेशों में जमा किया, और जब इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की गयी तो
देश में लोकतंत्र को अपमानित किया गया, इतनी बेशर्म सरकार जो कटघरे में
खड़े होकर न्यायधीश पर गुर्राती है! सभी देशवासी इस बात की समीक्षा खुद ही
कर लें की ऐसा कुकृत्य एक पैशाचिक मानसिकता की सरकार ही कर सकती है! आज आप
अब भी चुप रहोगे तो ठीक है पर हर रोज सुबह उठकर जब आप दर्पण देखें तो एक
बार देश में होने वाली बुराइयों और अन्याय को जरूर कौसें, सुना है अफ्रीका
का एक कबीला जिस पेढ़ को काटना चाहता है, उसको सामूहिक रूप से हर रोज कोसता
है, और पेढ़ मर जाता है फिर उस पेढ़ को काटकर अच्छा घर बनाया जाता है.
Subscribe to:
Comments (Atom)