click here

Monday, August 1, 2011

अनुभव यारी का


बहुत ही सोचता था मै ज़माने भर के बारे में
पर दिखा दी मुझको ही मेरी औकात यारो ने
रहा गुमशुम बहुत सोचा और ये समझ आया
लगा दू घुमा कर मै भी एक लात सारो को
लगाई लात उनको तो मुझे दिखी मेरी मंजिल
दिखा दी मैंने भी अपनी औकात सारो को
निकल पड़ा हु अपनी मंजिल कि डगर पर अब मै
नहीं कोई सफ़र के साथ यारो में
बुरा मत मानना भाई ये सच्ची बात है बिलकुल
सिखाया है मुझको यही पाठ यारो ने
मनीष ....

No comments:

Post a Comment

click here

AIRTEL

click here