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Thursday, August 4, 2011

शांत माता उग्र पिता



एक बार अकबर व् बीरबल जंगल मे आखेट हेतु जा रहे थ अपने लवाजमे के साथ. राह मे चलते चलते बीरबल को तुलसी का पोधा दिखता है, बीरबल घोड़े से उतर कर तुलसी माता को दंडवत प्रणाम करता है, ओर बोलता है जय
हो माताश्री की, जय हो माताश्री की. अकबर को बड़ा आश्चर्य होता है किहिन्दू धर्म भी कैसा है पेड़ पोधो को भगवान मानता है. इस बीच अकबर के चमचे हमेशा की तरह बीरबल को नीचा दिखने की सोचते है, ओर अकबर को भड़का देते है.
अकबर घोड़े से उतर कर तुलसी के पोधे को जड़ से उखड कर फेक देता है. (ये देखकर बीरबल सारी बात समझ जाता है कि अकबर केसे भड़का है.) आगे राह मे चलते चलते बीरबल फिर घोड़े से उतरकर एक पोधे को (जोकि बिच्छु बूटी का पोधा होता है) दंडवत प्रणाम करता है ओर जोर जोर से बोलता है जे हो पिताश्री की, जे हो पिताश्री की. अकबर घोड़े से उतर कर उस पोधे को भी जड़ से उखाड़ कर फेक देता है, उसी क्षण अकबर के हाथ मे खुजली शरू हो जाती है, वह जहाँ भी हाथ लगता है शरीर मे वहाँ - वहाँ खुजली शरू हो जाती है. अकबर कहता है बीरबल
मुझे बचाओ, मुझे बचाओ. बीरबल बड़े ही शांत स्वर मे अकबर को कहता है बादशाह सलामत आपकी खुजली उस तुलसी के पोधे पत्ते के रस को अपने शरीर पर लगाने से आपकी खुजली मिटेगी. अकबर दोड़कर तुलसी के पोधे के पास आकर उसके पत्ते के रस को अपने शरीर पर मलता है, ओर अकबर की खुजली शांत हो जाती है. अकबर
बीरबल से पूछता है ऐसा केसे हुआ, बीरबल ने कहा हमारे हिन्दुओ की माता बड़ी शांत स्वभाव की होती है पर पिता बड़े उग्र स्वभाव के होते है, अगर उन्हें

पता चलता है की किसी ने जान बुझ कर पंग लिया तो वो निबटना जानते है.

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