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Friday, August 5, 2011

अब रेल टिकट आरक्षण घोटाला


नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग का कहना है की तत्काल टिकट आरक्षण प्रणाली बुकिंग क्लर्कों और एजेंटों के छलकपट की गिरफ्त में है, जिसकी वजह से यात्रियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन जरूरतमंद यात्रियों के लिए यह योजना दिसम्बर 1997 में शुरू की गई थी वे इसका लाभ आसानी से नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि यह छलकपट की गिरफ्त में आ गया है।

पीआरएस दिल्ली और अन्य पीआरएस स्थानों के इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों सहित अभिलेखों का अध्ययन करने से पता चला है कि बुकिंग शुरू होने के पहले चंद घंटों के दौरान बुकिंग क्लर्क के गुप्त सहयोग से रेलवे एजेंटों ने घपलेबाजी की और एक फार्म पर छह से अधिक यात्रियों के आरक्षण कराए गए। सामान्य श्रेणी के टिकटों का अग्रिम आरक्षण 90 दिन पहले कराया जा सकता हैं जबकि तत्काल श्रेणी में ट्रेन की रवानगी के दो दिन पहले आरक्षण होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन यात्रियों को आरक्षण प्रदान करना था जो अपनी यात्रा की योजना पहले से नहीं बना पाते हैं। इस योजना का उद्देश्य केवल सीमित हद तक ही पूरा हो पाया है। रिपोर्ट में तत्काल योजना की समीक्षा का सुझाव दिया गया है और एक ऐसी नीति बनाने की सलाह दी गई है कि इसका लाभ उन जरूरतमंद यात्रियों को मिल सके जिनके लिए यह बनाई गई है।

रिपोर्ट में यात्री प्रतीक्षा सूची को पारदर्शी बनाने, शुरुआती घंटे के दौरान होने वाले तत्काल आरक्षण के मामलों में यात्री की पहचान आदि की जांच कर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने, सर्वरों की क्षमता बढा़ने आरटीएसए और वेबसाइट एजेंटों द्वारा बुक कराई जाने वाले टिकटों की पहचान के लिए आरक्षण प्रणाली में अंकीकृत आईडी अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है।

कैग ने आरटीएसए वेबसाइट एजेंटों के लेनदेने का निरीक्षण नियमित अंतराल पर करने के बाद ही उनके लाइसेंस का नवीनीकरण करने, आरटीएसए द्वारा खरीदे गए प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों के बडी़ संख्या में रद्द कराए जाने की नियमित समीक्षा करने की भी सिफारिश की है।

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