click here

Wednesday, November 16, 2011

उत्तर प्रदेश विभाजन से जानता खुश या राजनेता दुखी



उत्तर प्रदेश विभाजन को लेकर जो ऐलान उत्तर परदेश सरकार ने क्या है भले ही इस से राजनेतिक पार्टिया खुँश नहीं है पर किसी ने जनता से भी पूछा, क्या वह खुँश है या नहीं एक दो दशक से इस की मांग लगातार उठ रही है तो आज सब राजनेतिक पार्टिया क्यों इस का विरोध कर रही है केवल अजीत सिंह के आलावा अभी तक किसी ने भी समर्थन में बयान नहीं दिया है हा अमर सिंह ने भी यही बात कही थी / जो जिले पिछड़े हुए है नए राज्य बनने से उन जिलो का जरुर विकाश होगा/ खास कर  पूर्वांचल, बुंदेलखंड, का जरुर विकाश होगा जो सदियों से विकाश के लिए राज्य और केंद्र के तरफ देखते रहते है कब पैकज आयेगा कब विकाश होगा अब उस को कम से कम विकाश के लिये किसी का मोहताज़ नहीं होना पड़ेगा /
लेकिन जहा लाल किरशन अडवाणी जहा अपनी साकार आने पर तेलाग्गना राज्य बनाने की बात कह रहे है तो क्या सारा श्रेय बही लेना चाहते है सब जानते है और अन्दर ही अन्दर इस को चाहते भी है की इन राज्यों का गठन हो पर हर कोई ये भी जानता है की अगर इस बात का अगर हम समर्थन करते है तो इस बात का फायदा बहुजन समाज पार्टी को ही होगा क्यों की विधान सभा चुनाव अगले साल ही है     इसलिए  उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने के मायावती सरकार के प्रस्ताव ने राज्य की राजनीति को नए सिरे से गर्मा दिया है.
प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव को आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया राजनीतिक हथकंडा करार किया है.
समाजवादी पार्टी (सपा)  ने इस प्रस्ताव का विरोध करने का एलान किया है तो कांग्रेस ने राज्य के प्रस्तावित विभाजन को एक संवेदनशील मुद्दा बताया और कहा कि इस पर निर्णय केवल विस्तृत चर्चा के बाद ही लिया जा सकता है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह घोषणा सिर्फ 'चुनाव के समय लोगों को मूर्ख बनाने' के लिए है.
इस प्रस्ताव को 21 नवंबर से शुरू होने वाले सत्र के दौरान विधानमंडल से पारित कराया जाएगा। इसके बाद इसे केंद्र भेजा जाएगा। उत्तर प्रदेश की जगह  उसके स्थान पर होंगे पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश अस्तित्व में होंगे। राज्य विभाजन के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उन्होंने अपना दायित्व पूरा कर दिया है। अब केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्य पुनर्गठन को अमली जामा पहनाए। राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को जो प्रस्ताव पारित किया उसमें उप्र को पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश में विभाजित करने की बात है।
अगर जानता इस के लिये राजी ही तो जानता को इस का विरोध कर रही राजनेतिक पार्टियों को मुहतोड़ जवाब विधान सभ चुनाव में देना चाहिय /

No comments:

Post a Comment

click here

AIRTEL

click here