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Monday, November 21, 2011

राज्य विभाजन का प्रस्ताव पास, विधानसभा अनिश्चित काल के लिए भंग


                                मायावती ने की लोकतंत्र  की हत्या  - विपक्ष 

                       आज का दिन यूपी के लोकतान्त्रिक इतिहास में काला दिन - सपा
 
लखनऊ, चुनावी वर्ष में मायावती ने एक और गेंद कांग्रेस शासित केंद्र के पाले में फेकते हुए राज्य विभाजन का प्रस्ताव आज विधानसभा में पास करा दिया.  उत्तर प्रदेश की विधानसभा का शीतकालीन सत्र  आज पहले  ही दिन हगामे के साथ अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है हांलाकि इस बीच ३० मिनट के सत्र में सरकार ने राज्य विभाजन का प्रस्ताव तथा लेखा अनुदान बिल ध्वनि मत से पारित करा लिया और विपक्ष कि पूरी तयारी धरी रह गयी .हांलाकि विपक्ष ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे कृत्य को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए आज के  दिन को उत्तर प्रदेश  के इतिहास में काला दिन बताया है . सपा और भाजपा ने कहा है कि वो मुख्यमंत्री के इस कृत्य के खिलाफ राजपाल को ज्ञापन सौपेंगे .वही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने विपक्ष पर ही आरोप लगाते हुए कहा  कि मायावती राज्य विभाजन का प्रस्ताव इसलिये पास करा पाई क्योकि सपा और भाजपा ने बसपा का गोपनीय तौर पर साथ दिया है. जबकि नेता विपक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती ने बाबा साहब के द्वारा बनाये सविंधान कि धज्जीया उड़ायी है उन्होंने कहा की मायावती ने सरकार गिर जाने के डर से बिना  किसी बहस के राज्य विभाजन का प्रस्ताव पारित करा दिया और सत्र को अनिश्चित काल स्थगित कर दिया. वही भाजपा ने इससे अलोकतांत्रिक प्रक्रिया बताते हुए मायावती का चुनावी स्टंट करार दिया है.
  हलाकि विधानसभा स्थगित होने के तुरंत बाद मायावती ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि विपक्ष के हंगामे के चलते सदन स्थगित हुआ. उन्होंने विपक्ष के अविश्वाश प्रस्ताव को सरकार को बदनाम करने साजिस बताते हुए कहा कि कि उनकी सरकार पूर्ण बहुमत में है और वो विधान सभा भंग करने कि सिफारिस नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि राज्य  विभाजन का प्रस्ताव कोई राजनैतिक स्टंट नहीं बल्कि यह बसपा कि दिलीइच्छा थी और इसके लिए उन्होंने २००७ में केंद्र को पत्र  भी लिखा था. केंद्र पर आरोप लगते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र कि उदासीनता के चलते ही उन्हें विधानसभा में राज्य विभाजन का प्रस्ताव पास करना पड़ा. मायावती ने कहा कि उन्होंने अपना कम कर दिया अब केंद्र को अपनी जिम्मेदारी निभानी है    
       
 

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