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Tuesday, January 24, 2012

भारत में नारी का बदलता रूप


भारत को महान परम्पराओं के लिए विश्व में  जाना जाता है ।विदेश के लोग भारत की परम्पराओं को देखने आते है ।लकिन आज भारत की कुछ परम्पराए जो और देशो की होड़ में बदलने की कोशिश कर रही है ।जैसे भारतीय नारी का बदलता रूप ।आदि कल में मानव नग्न आब्स्था में फिरता था  ।तब भगवान ने मानव को शारीर ढकने की  बुद्धि दी थी ।तब मानव के पास कपडे नही थे फिर भी मानव पेडो  के पत्तो से अपना शरीर को ढककर अपनी लाज लज्जा को बरकरार रखाता  था ।लेकिन आज की नारी अपने आस्तिव कोई ही भूल गई है ।बह फैसन के इस दोर में अपनी भारतीय परम्पराओं और अपने सम्मान की भेट स्वयं ही चढ़ा रही है ।क्योकि आज  नारी अंग दिखावे  के लिए आधिक से अधिक बदलने की कोशिश कर रही है बह अपनी मान मर्यादा तक को भूल गई और अंगो का ऐसा दिखावा कर रहगी है जैसे कोई सब्जी की दुकान हो ।

नारी के कपड़े दिन वा दिन छोटे होते जा  रहे है ।जिससे उसको समाज की बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।लेकिन नारी अपने इन कपड़ो के कारण सम्मान को  प्राप्त नहीं कर पा रही है ।बही अगर फैसन से ही समाज में अपना सम्मान बनता  तो क्यों आज का आदमी फैसन  को क्यों नही अपनाता  क्यों नही छोटे छोटे कपड़े पहनता क्योकि बह जानता ही कि समाज में छोटे छोटे कपड़े पहने से सम्मान नहीं मिलता बल्कि सादगी और कार्यो से मिलता है ।मै जानना चाहता हू कि  आज की नारी से जो अपने इन छोटे छोटे कपड़ो के साथ खुश है ।क्या इन कपड़ो से  उसको समाज में  सही सम्मान  मिलता है? क्या कपडा अंगो को दिखाने के लिए पहना जाता है ?
नारी क्यों भूल जाती है कि कपडा  सिर्फ तन ढ़कने के लिए बनता है न कि अंग दिखने के लिए।

क्योकि नारी के पास तो लज्जा का गहना है। नारी लज्जा से ही सुंदर लगती है ।  

पुरुष से ऊंचा स्‍थान है नारी का हिंदू परंपरा में क्योकि नारी ने कभी माँ ,बहन तो कभी पत्नी के रूप में  पुरुष का  साथ जिन्दगी के हर मोड़ पर दिया है ।


नारी की सुन्दरता तो उसके पहनावे से दिखती है न कि उसके अंगो से ।  

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