एंटनी सिंह के करीबी सेना के पूर्व अधिकारियों के जरिए भी उन्हें संदेश दे रहे हैं कि सरकार के फैसले के खिलाफ किसी सेना प्रमुख का कोर्ट में जाने से अच्छा संदेश न तो देश के भीतर ही जाएगा और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर। वहीं सिंह ने साफ कह दिया है कि उनके कोर्ट में जाने को सरकार के फैसले को चुनौती देने की कोशिश के तौर पर न देखा जाए, बल्कि ऐसा वह अपने सम्मान की रक्षा के लिए कर रहे होंगे। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का इस पर तर्क है कि सिंह भले ही कुछ कह रहे हों लेकिन किसी भी प्रजातंत्र में चुनी गई सरकार के फैसले को सेना प्रमुख को तो स्वीकार ही करना चाहिए। सूत्रों के अनुसार सिंह ने इस बीच कुछ कानूनविदों की राय लेनी भी शुरू कर दी है। वहीं सरकार इस मामले को सियासी तूल न मिले इसकी कोशिश में भी जुटी हुई है। जनरल सिंह का कहना है कि उनकी जन्मतिथि 10 मई, 1951 है जिसे स्वीकार किया गया तो उनका कार्यकाल अगले साल तक रहेगा। वरना पांच माह में ही उनका कार्यकाल खत्म हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक सेना प्रमुख की जन्मतिथि 10 मई, 1950 ही मानने पर अड़े रक्षा मंत्रालय की तरफ से उनकी वैधानिक अर्जी खारिज कर दिए जाने के बाद सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि सेनाध्यक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर बृहस्पतिवार को प्रस्तावित सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं और इसके बाद आगे के कदम पर निर्णय करेंगे। यही वजह है कि सरकार ने इससे पहले सिंह को अदालत में इस मामले को नहीं ले जाने के लिए मनाना शुरू कर दिया है।

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