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Thursday, December 29, 2011

संसद में लोकपाल पर बहस .नही निकला क़ोई निष्कर्ष |

चालीस बयालीस साल से चल रही  लोकपाल विधेयक पर कार्यवाही एक बार फिर से अटक गयी  । लोकसभा में पारित  हो चुका   लोकपाल विधेयक पहली पहरी पर  ही रुक गया  । लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक पर देर रात तक चली बहस का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई।
हालांकि, सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पूर्व संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और आमामी सत्र में फिर से लोकपाल विधेयक को संशोधनों के साथ लाया जाएगा। बहरहाल, बजट सत्र तक के लिए यह विधेयक टल गया है। 
राज्यसभा में करीब 11 घंटे से अधिक समय तक चली बहस के दौरान सरकार को लोकपाल विधेयक में 187 संशोधन मिले। बहस की शुरुआत प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली ने यह कहकर की कि आज विधेयक पारित करके ही यह सदन उठना चाहिए। नया इतिहास रचा जाना चाहिए।
दूसरे वक्ता के रूप में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि विधेयक पास नहीं हुआ तो इतिहास माफ नहीं करेगा। मगर, दोनों बड़े दलों के इन दावों के बावजूद विधेयक पास नहीं हो सका। बहस के दौरान तल्खी इस कदर बढ़ गई कि राजद के राजनीति प्रसाद ने कार्मिक राज्यमंत्री नारायणसामी की टेबल से विधेयक छीनकर फेंक दिया।
कई बार हंगामा हुआ और रात करीब साढ़े ग्यारह बजे 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी। विधेयक पारित करने से सरकार ही पीछे हटी है। इसके कई कारण हैं। बाहर से समर्थन दे रहे सपा, बसपा, राजद तो विधेयक के खिलाफ थे ही, सहयोगी दलों में तृणमूल भी अपने संशोधनों को मनवाने के लिए अड़ी हुई थी। पहले से अल्पमत सरकार के लिए वोटिंग में जीत पाना मुश्किल था और ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने के आसार नहीं थे। इसलिए सरकार ने विधेयक को टालने का फैसला किया।
अलबत्ता सरकार ने तर्क दिया कि 187 संशोधनों का अध्ययन करने और उन पर विचार करने के लिए समय की दरकार है। इसके बाद ही सरकार सदन में आएगी। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार इसे पारित करने के लिए समय सीमा बताए। लेकिन बंसल ने यह कहते हुए इनकार किया कि नए साल का सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है इसलिए वादा नहीं कर सकते। प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सदन में सरकार अल्पमत में है और वह लोकपाल को पारित करने से बच रही है।

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