अन्ना के आंदोलअन्ना हजारे के आंदोलन से बैकफुट पर आई यूपीए सरकार ने पिछले सत्र में भले ही जनलोकपाल विधेयक की सिफारिशें स्थायी समिति को दोबारा भेजने का फैसला किया हो, लेकिन शीतकालीन सत्र आते-आते स्थाई समिति ने पीएम, सीबीआई और ब्यूरोक्रेटस को शामिल करने पर आनाकानी कर दी। कुल मिलाकर अन्ना को एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा। दूसरी तरफ टीम अन्ना को किसी न किसी विवाद में फंसाकर सरकार ने अन्ना का आंदोलन कमजोर करने की कोशिश की। लेकिन जंतर-मंतर पर 11 दिसंबर को अन्ना के धरने ने फिर से साबित कर दिया कि बूढी हड्डियों में अभी भी जवानी का खून उबल रहा है। इसलिए सरकार ने चार विधेयक लाकर अन्ना को कमजोर करने की तैयारी कर ली। इनमें से तीन विधेयक सरकार ने पारित कर दिए और खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा जारी है।
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