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Tuesday, December 13, 2011

ग़म का वो मंजर

ये वो मंजर यह जब देश की हर आँख क्षलक उठी थी संसद पर आतंकवादी हमले को पूरे दस साल हो गए हैं .13 दिसंबर 2001 को सुबह करीब 11:30 बजे हैंड ग्रेनेड और एके-47 बंदूक से लैस आतंकियों ने जब बाहर हमला किया उस वक्त भीतर संसद का सत्र चल रहा था लेकिन सुरक्षा में शुरुआती चूक के बाद भी जवानों ने आतंकियों की एक न चलने दी.सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों, बम निरोधक दस्ते और पुलिस ने मोर्चे संभाल लिए, ताकि एक भी आतंकी मनमानी न कर सके और भाग कर जाने भी न पाए.हमला नाकाम कर दिया गया और पांच आतंकवादी मारे गए, जबकि नौ जाबांज जवान शहीद हो गएइस हमले की साज़िश रचने वाले अफजल गुरु सहित चार आतंकवादियों को पकड़ा गया था.शहीद हुए जवानों के परिजन इस हमले के जिम्मेदार अफजल गुरु पर जल्दी फैसला चाहते हैं.खुद अफजल फांसी पर लटकना चाहता है लेकिन अभी तक उसको फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है. सरकार के इस रवैये से जनता में भी आक्रोश है.बीजेपी के कार्यकाल में हुए संसद पर हमले की पूरे विश्‍व समुदाय ने निंदा की थी.आतंकी हमले के दस साल बाद भी शहीदों के परिवारों को पूरा इंसाफ नहीं मिला. सरकार ने मुआवाजा देने में बहुत समय लगाया.संसद पर हुए हमले की 10वीं बरसी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ-साथ कई सांसदों ने संसद को बचाने वाले भारत माता के  अमर सपूतो को श्रध्यांजिली दी| शहीदों के परिवार वालों ने इस श्रध्यांजिली का विरोध करते हुये
अफजल को फांसी के नारे लगाये| 

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