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Wednesday, December 14, 2011

मरहम लगाते ही, नमक भी छिड़क देती है सरकार




जहा सरकार थोड़ी खुशी देने के बाद ,मुसीबतों का पहाड़ तोड़ ने की फिर से कोशिश कर रही है जहा जनता पर चोट लगने पर मरहम लगाते ही फिर तुरंत बाद में उस पर नमक भी छिड़क  देती है सरकार क्यों  ऐसी क्या मज़बूरी है सरकार की जो एक दम इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाती है सरकार क्यों सरकार की नीतिया और उसकी बनायीं पोलिसी सब बेकार है किया बिलकुल महगाई पर काबू नहीं कर सकती ये सरकार डालर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है कच्चे तेल के दम बड़ते जा रहे है क्यों  सरकार ने कोई अन्तराष्ट्रीय निति कुछ भी नहीं बना रखी है जो इन से निबटा जा सके क्यों  हमारी बनाई नीतिया सब विदेशियों के आगे बेकार है
योजना आयोग ने पेट्रोल के दाम बढ़ाने का प्रस्‍ताव किया है. आयोग का प्रस्‍ताव पेट्रोल के दामों पर ग्रीन सेस लगाने का है. लगता है जैसे पेट्रोल के जो दाम कम हुए हैं सरकार उसे किसी और बहाने से वापस लेने में लगी है.
गौरतलब है कि तेल  कंपिनयों ने नवंबर के महीने में पेट्रोल के दामों में दो बार कटौती की थी. 30 नवंबर को पेट्रोल की कीमत में 78 पैसे प्रति लीटर की कमी हो गई थी जबकि 16 नवंबर को भी पेट्रोल की कीमत में 2 रुपए 22 पैसे की कमी की गई थी.
प्रदूषण के नाम पर टैक्‍स लगाने का योजना आयोग का यह प्रस्‍ताव अगर मंजूर हो गया तो पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है.
सरकार को इस का जवाब भी खुले लफ्जो में जनता को बताना चाहिए की किस तरह मजबूर है
क्यों सरकार की  अन्तराष्ट्रीय पोलिसी बेकार होती जा रही है  

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