सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर नकेल कसने चले दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ इंटरनेट पर आक्रमण शुरू हो गया है। सिब्बल केखिलाफ टिप्पणी करने वालों में सांसद राजीव चंद्रशेखर, शेखर कपूर और शोभा डे जैसे नामचीन लोग शामिल हैं। इनका कहना है कि सरकार विचार-अभिव्यक्ति को सेंसर नहीं कर सकती। मंगलवार को कपिल सिब्बल ने इंटरनेट प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की बात कही थी।
मैं नहीं सोचता कि सिब्बल को इंटरनेट की समझ
सांसद राजीव चंद्रशेखर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, आप सोच सकते हैं कि दूरसंचार विभाग के किसी नौकरशाह को ये जिम्मा सौंपा जाएगा कि वो इंटरनेट पर डाली जा रही सामग्री को मंजूर करे। जाने माने शेयर ब्रोकर राकेश झुनझुनवाला ट्वीट करते हैं कि मैं नहीं सोचता कि सिब्बल को इंटरनेट की समझ है। जब आप किसी वकील को आईटी मिनिस्टर बनाएंगे तो ऐसा ही होगा। प्रख्यात फिल्मकार शेखर कपूर झुनझुनवाला से सहमति जताते हैं। उनका ट्वीट है कि हर इंसान एक ब्रॉडकॉस्टर है, उसका सोशल मीडिया पर प्रभाव भी है और यही बात सरकारों और दुनिया के पहरेदारों केडर की वजह है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात होगा
लेखिका और सोशलाइट शोभा डे का ट्वीट है, सिब्बल साब, एक मैडम की प्राइवेसी बचाने के लिए दस करोड़ इंटरनेट यूजर्स पर जुल्म करेंगे। हमें अपनी आजादी पसंद है और ये बनी रहनी चाहिए। फिल्मकार कुणाल कोहनी को भी लगता है कि सरकार का ये कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात होगा। कुणाल कहते हैं कि भारत एक महान लोकतंत्र है। कपिल सिब्बल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं सकता।
सिब्बल गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च वाला शब्द
उधर सिब्बल केपक्ष में भी खड़े उनकेजूनियर मंत्री मिलिंद देवड़ा का कहना है कि सरकार इंटरनेट की सेंसरशिप नहीं चाहती। देवड़ा के अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि जिस तरह के नमूने कपिल सिब्बल ने मुझे दिखाए वो सामग्री आपत्तिजनक कही जाएगी। मालूम हो कि मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस केदौरान कपिल सिब्बल ने गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियों से राजनेताओं और धर्म के खिलाफ वेबसाइट पर डाली गई आपत्तिजनक सामग्री पर नकेल कसने को कहा था। इसके बाद से इंटरनेट पर एक तरह से बवाल मच गया। आलम ये था कि सिब्बल देश में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला शब्द बन गया।
नकेल से पहले संसद की राय ली जाएर् भाजपा
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स की सामग्री का नियमन करने से पहले संसद की राय भी ली जानी चाहिए। धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली और किसी को बदनाम करने वाली सामग्री का विरोध करती है। राज्य सभा में भाजपा के उपनेता एस.एस. अहलूवालिया ने कहा, मुझे हैरानी है कि मंगलवार की बैठक सिब्बल ने यू ट्यूब को नहीं बुलाया। अगर वेबसाइट कंटेंट पर लगाम लगाना है तो इसकेलिए कानून बनना चाहिए।
मैं नहीं सोचता कि सिब्बल को इंटरनेट की समझ
सांसद राजीव चंद्रशेखर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, आप सोच सकते हैं कि दूरसंचार विभाग के किसी नौकरशाह को ये जिम्मा सौंपा जाएगा कि वो इंटरनेट पर डाली जा रही सामग्री को मंजूर करे। जाने माने शेयर ब्रोकर राकेश झुनझुनवाला ट्वीट करते हैं कि मैं नहीं सोचता कि सिब्बल को इंटरनेट की समझ है। जब आप किसी वकील को आईटी मिनिस्टर बनाएंगे तो ऐसा ही होगा। प्रख्यात फिल्मकार शेखर कपूर झुनझुनवाला से सहमति जताते हैं। उनका ट्वीट है कि हर इंसान एक ब्रॉडकॉस्टर है, उसका सोशल मीडिया पर प्रभाव भी है और यही बात सरकारों और दुनिया के पहरेदारों केडर की वजह है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात होगा
लेखिका और सोशलाइट शोभा डे का ट्वीट है, सिब्बल साब, एक मैडम की प्राइवेसी बचाने के लिए दस करोड़ इंटरनेट यूजर्स पर जुल्म करेंगे। हमें अपनी आजादी पसंद है और ये बनी रहनी चाहिए। फिल्मकार कुणाल कोहनी को भी लगता है कि सरकार का ये कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात होगा। कुणाल कहते हैं कि भारत एक महान लोकतंत्र है। कपिल सिब्बल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं सकता।
सिब्बल गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च वाला शब्द
उधर सिब्बल केपक्ष में भी खड़े उनकेजूनियर मंत्री मिलिंद देवड़ा का कहना है कि सरकार इंटरनेट की सेंसरशिप नहीं चाहती। देवड़ा के अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि जिस तरह के नमूने कपिल सिब्बल ने मुझे दिखाए वो सामग्री आपत्तिजनक कही जाएगी। मालूम हो कि मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस केदौरान कपिल सिब्बल ने गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियों से राजनेताओं और धर्म के खिलाफ वेबसाइट पर डाली गई आपत्तिजनक सामग्री पर नकेल कसने को कहा था। इसके बाद से इंटरनेट पर एक तरह से बवाल मच गया। आलम ये था कि सिब्बल देश में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला शब्द बन गया।
नकेल से पहले संसद की राय ली जाएर् भाजपा
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स की सामग्री का नियमन करने से पहले संसद की राय भी ली जानी चाहिए। धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली और किसी को बदनाम करने वाली सामग्री का विरोध करती है। राज्य सभा में भाजपा के उपनेता एस.एस. अहलूवालिया ने कहा, मुझे हैरानी है कि मंगलवार की बैठक सिब्बल ने यू ट्यूब को नहीं बुलाया। अगर वेबसाइट कंटेंट पर लगाम लगाना है तो इसकेलिए कानून बनना चाहिए।
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