नई दिल्ली. मल्टीब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत देने का फैसला लागू करने पर सरकार अब आगे नहीं बढ़ेगी। बुधवार सुबह सर्वदलीय बैठक में यह फैसला हुआ, जिसकी घोषणा सरकार की तरफ से लोकसभा में नेता सदन प्रणब मुखर्जी ने किया। जबकि राज्यसभा में वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी।
संसद के दोनों सदनों में सरकार की तरफ से बताया गया कि एफडीआई पर विदेशी निवेश के प्रस्ताव को अभी टाल दिया गया है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में जानकारी दी कि जब तक सभी सभी संबंधित पार्टियों से इस बारे में बातचीत करके आम सहमति नहीं बना ली जाएगी, तब तक सरकार इस पर आगे कोई फैसला नहीं लेगी। मुखर्जी ने कहा कि सरकार सभी पार्टियों और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे पर चर्चा करेगी। प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। संसद की कार्यवाही शीतकालीन सत्र के दसवें दिन सुचारू रूप से चल रही है। इससे पहले इस सत्र में एक दिन भी काम नहीं हो पाया था।
संसद की कार्यवाही से पहले आज सुबह साढ़े नौ बजे हुई सर्वदलीय बैठक में तय हुआ कि सरकार की ओर से संसद में एफडीआई पर बयान दिया जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि एफडीआई को मंजूरी का फैसला सर्वसम्मति बनने तक लागू नहीं किया जाएगा। इस सहमति के बाद सभी दल संसद की कार्यवाही चलने देने पर सहमत हुए। संसद का शीतकालीन सत्र अब केवल 9 दिन बचा है और अब तक सदन में पांच मिनट भी कामकाज नहीं हुआ है। वामपंथी नेता गुरुदास दासगुप्ता ने बताया कि बुधवार को सदन में सरकार अपना कामकाज निपटाएगी और गुरुवार को महंगाई पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि किराना में विदेशी निवेश के मुद्दे पर सरकार को पूरी तरह कदम पीछे हटाना पड़ा। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार ने यह फैसला फिलहाल निलंबित रखा है। फैसले पर अमल से पहले इस मुद्दे पर सभी दलों से बात की जाएगी, फिर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात होगी और उन तमाम पक्षों का भी मत लिया जाएगा, जो इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं।
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