गांधीवादी अन्ना हजारे ने निचले स्तर की नौकरशाही को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की स्थायी समिति के प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए हैं। हजारे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि वह अगले साल जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहा है, उनका दौरा करेंगे और लोगों से कहेंगे कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए यूपीए सरकार के पास न तो इच्छा है और न ही ईमानदारी है। ऐसे में इन लोगों को वोट नहीं दिया जाए।
संसद के मौजूदा सेशन में लोकपाल बिल पारित करने की मांग करते हुए अन्ना ने कहा,'अगर कानून लाने के लिए समय नहीं है तो सत्र बढ़ाया जाना चाहिए। संविधान आपको ऐसा करने की इजाजत देता है। अगर आपके पास इच्छाशक्ति है तो आप कुछ भी कर सकते हैं और कानून अभी पारित कर सकते हैं। अगर आपके पास इच्छाशक्ति है तो फिर समस्या क्या है।'
हजारे ने कहा, 'वे हमें बता रहे हैं कि हम संसद का सम्मान करें। इसी संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया था। आप उसका सम्मान क्यों नहीं कर रहे हैं? आप निचले स्तर की नौकरशाही का मामला राज्यों पर क्यों छोड़ना चाहते हैं?'
समिति के प्रस्ताव को गलत करार देते हुए हजारे ने कहा कि निचले स्तर की नौकरशाही लोकपाल के दायरे में लाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद भरोसा दे चुकी है कि ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों को लोकपाल के तहत लाया जाएगा। इसके साथ ही राज्यों में लोकायुक्त और सिटीजन चार्टर की बात की गई थी।
हजारे ने कहा कि तीन कांग्रेसी सांसदों ने ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग को लेकर असहमति पत्र भी दिया है। गांधीवादी ने कहा, 'अगर वे हमारी मांगों की उपेक्षा करेंगे, तो मैं 11 दिसंबर को जंतर-मंतर और 27 दिसंबर से रामलीला मैदान में अनशन पर बैठूंगा। मैं पांचों राज्यों के लोगों को बताऊंगा कि यह विधेयक लाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है और ऐसे में आप इनके लिए मतदान नहीं करें।'
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